गुरु कि आज्ञा मिलतें ही 15 दिन में 300 कि मी पद यात्रा कर बावनगजा से नेमावर पहुंचे प्रमाण सागर जी पैरों मे छाले पङने पर भी पद यात्रा नहीं रूकी । सीहोर सिधदोदय तीर्थ क्षैत्र नेमावर से विमल जैन की रिपोर्ट राष्ट्रीय संत शिरोमणि आचार्य गुरूवर 108श्री विद्या सागरजी महाराज साहब के परम शिष्य शंका समाधान के प्रणेता मुनिश्री प्रमाण सागर जी का 15 वर्ष 8 माह 22 दिन के बाद तथा मुनिश्री विराट सागरजी का 10वर्ष 8 माह 22 दिन के लंबे समय के इंतजार के बाद सिधदोदय तीर्थ क्षैत्र नेमावर मे अपनें गुरूवर आचार्य 108 श्री विद्या सागरजी के दर्शन कर पद पृछाल करे तो दोनों की आखों से आंसू वह निकले अश्रु धारा ओर जल से दोनो शिष्य ने पाद पृछाल किये ओर गंधोदक को अपनें मस्तिष्क पर लगाया । दोनों मुनिश्री बावनगजा मे चातुर्मास् प्रवास पर थे ।गुरू से आज्ञा मिलतें ही गुरू दर्शन के लिए 15 नवम्बर को वहां से लगभग 300 किलोमीटर का पद बिहार करतें हुए रविवार को नेमावर पॅहुचे । मुनि श्री प्रमाण सागर जी ने इसके पूर्व 8 मार्च वर्ष 2004 को राम टेक और मुनी श्री विराट सागरजी ने 8 मार्च 2009 को जबलपुर में गुरु के दर्शन कर उनकी आज्ञा और आशीर्वाद प्राप्त कर बिहार किया था ।