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व्यक्तित्व
24-Mar-2020

मध्य प्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित कार्यकर्ता हैं। शिवराज सिंह चौहान ने 29 नवंबर, 2005 को पहली बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। मध्य प्रदेश की 13वीं विधानसभा के लिए हुए चुनावों में शिवराज सिंह चौहान ने स्टार प्रचारक की भूमिका निभाई और पार्टी को प्रदेश में फिर से जीत दिलाकर सरकार बनाई । 10 दिसम्बर 2008 को भारतीय जनता पार्टी के 143 सदस्यों वाले विधायक दल ने शिवराज सिंह चौहान को सर्वसम्मति से अपना नेता चुना था। 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में भी शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 2020 में शिवराज चौथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने है । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं एक कर्मठ कार्यकर्ता रहे है सीहोर जिले के नर्मदा किनारे बसे एक छोटे से गांव जैत के किसान परिवार में जन्मे शिवराज सिंह चौहान आज अपनी विनर्मता सहजता और जनकल्याण के प्रति समर्पण भावना से आम लोगों के असाधारण नायक के रूप में जाने जाते है गरीब और दुखी जनो के प्रति संवेदनशीलता और आत्मीयता के कारण वे पाव पाव वाले भैया से लेकर मामा के रूप में जाने जाते है । अपने कामो से उन्होंने आम जनता के मन में अमित विश्वास कायम किया है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जन्म 5 मार्च, 1959 को सीहोर जिले के ग्राम जैत के कृषक परिवार में हुआ था। शिवराज ने बरकतुल्ला विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में गोल्ड मैडल हासिल किया है । वह छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे। शिवराज एक लम्बे समय तक पार्टी की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े रहे हैं। शिवराज पहली बार राज्य विधानसभा के लिए 1990 में सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा सीट से चुने गए थे। अगले ही साल विदिशा संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए । शिवराज 2000 से 2003 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भाजपा के राष्ट्रीय सचिव भी रहे। 2005 में शिवराज भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे तब उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था। 30 नवंबर, 2005 को उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया गया। अपने मुख्यमंत्रित्व काल में चौहान ने कई लोकहित के कार्यक्रमों और योजनाओं की शुरुआत की थी। 2019 में पार्टी को मिली हार के बाद भी शिवराज शांत नहीं बैठे। शिवराज ने आंदोलन और रैलियों के माध्यम से सड़को पर जनता की लड़ाई लड़ी । जनता के बीच उनकी लोकप्रियता ही थी ।शिवराज सिंह ने चौथी बार मुख्यमंत्री की शपथ लेकर इतिहास रचा है।