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अंतर्राष्ट्रीय
09-Nov-2020

अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन पांच लाख भारतीयों समेत लगभग 1 करोड़ 10 लाख ऐसे आप्रवासियों को अमेरिकी नागरिकता प्रदान करने का रोडमैप तैयार करेंगे, जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं.इसके अलावा वह सालाना न्यूनतम 95,000 शरणार्थियों को अमेरिका में प्रवेश दिलाने की प्रणाली भी बनाएंगे.बाइडेन के अभियान द्वारा जारी एक नीतिगत दस्तावेज में यह जानकारी दी गई है अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडन भारत की बेटियों को उच्च शिक्षा में शोध क्षेत्र में बढ़ावा दे सकते हैं। दरअसल नए अमेरिकी राष्ट्रपति विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में रिसर्च पर खासा फोकस रखते हैं। हालांकि, वे लिंषगभेद (बेटा-बेटी में भेदभाव) के खिलाफ भी हैं। बाइडन 2013 में भारत आए थे। इस दौरान वे आईआईटी बॉम्बे भी पहुंचे। यहां नैनो-इलेक्ट्रानिक्स लैब में उनका फोकस भारतीय बेटियों के पीएचडी रिसर्च कार्यों का जायजा लेने पर सबसे अधिक रहा था। आईआईटी दिल्ली के डायरेक्टर और आईआईटी बॉम्बे की फैकल्टी प्रो. वी रामगोपाल राव कहते हैं कि नए राष्ट्रपति विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ शोध क्षेत्र में खासी रुचि रखते हैं। दुनिया में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा रविवार को पांच करोड़ पार कर गया, जबकि मृतकों की संख्या 12.58 लाख से ज्यादा हो गई। महामारी की चपेट में आए 3.56 करोड़ लोग स्वस्थ भी हुए हैं। विश्व में 1.34 सक्रिय मामले हैं, जिनमें से 92,019 मरीजों की हालत बेहद गंभीर है। रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में शनिवार को 5,98,153 मामले सामने आए और 7,445 लोगों की मौत हुई। जबकि सबसे ज्यादा प्रभावित देश अमेरिका में ही शनिवार को अकेले 1,24,390 मामले सामने आए और 1,031 लोगों की मौत हुई। सर्वाधिक प्रभावित देशों की सूची में तीसरे नंबर पर ब्राजील, चौथे पर रूस, पांचवें पर फ्रांस, छठे पर स्पेन और सातवें पर अर्जेंटीना है। जो बाइडन और उनकी पत्नी को कुत्ते काफी पसंद है। इसके तहत व्हाइट हाउस में उनके दो जर्मन शेफर्ड, चौंप और मेजर नजर आ सकते हैं। लंबे समय के बाद फिर से अमेरिका में कुत्तों को रखने की परंपरा दोबारा से शुरू होगी। बता दें कि अमेरिका में जॉर्ज वाशिंगटन पहले ऐसे राष्ट्रपति थे, जिन्होंने व्हाइट हाउस में डॉग रखा था। उनके बाद व्हाइट हाउस में कुत्तों को रखना बंद हो गया था। बाइडन के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद भारत, अमेरिका समेत अन्य देशों के साथ आयरलैंड में उनके पैतृक घर पर भी जीत का जश्न मनाया जा रहा है। हालांकि, उनके पूर्वज (परदादा) लगभग 200 साल पहले आयरलैंड से अमेरिका आकर बस गए थे। अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के बाद जो बाइडन ने रविवार को सत्ता हस्तांतरण और नई सरकार के गठन का काम भी शुरू कर दिया है। जो बाइडन और उपराष्ट्रपति बनने जा रहीं भारतीय मूल की कमला हैरिस के सामने कोरोना, आर्थिक सुधार, नस्ली भेदभाव और जलवायु परिवर्तन जैस प्रमुख मुद्दे होंगे। जीत से पहले बाइडन ने कहा था, जनता ने उन्हें कोरोना महामारी से बचाव और अर्थव्यवस्था पर काम करने के लिए वोट दिया है। वे राष्ट्रपति कार्यालय पहुंचने पर पहले दिन से अपनी योजना पर काम शुरू कर देंगे। उन्होंने दावा किया कि वे देश में 2.36 लाख लोगों की जान ले चुके वायरस को नियंत्रित कर लेंगे। पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने कहा है कि चीजें तय हो चुकी हैं। अलग तरीके से अपनी बात रखते हुए बुश बोले कि मैंने प्रेसिडेंट इलेक्ट बाइडेन और कमला हैरिस को कहा था कि उन्हें मिल रही शुभकामनाओं को और विस्तार देना चाहिए। क्या ट्रम्प को दोबारा गिनती का हक है, इस पर बुश ने कहा कि अमेरिकियों को भरोसा है कि चुनाव निष्पक्ष तरीके से हुए हैं। हमारी मजबूती बरकरार रहेगी। चीजें साफ हो चुकी हैं। बुश के मुताबिक, ‘राजनीतिक मतभेद होना अलग बात है, पर मैं जानता हूं कि बाइडेन अच्छे व्यक्ति साबित होंगे और देश को एकजुट करेंगे। हमें अपने परिवार, पड़ोसियों, देश और भविष्य के लिए साथ आना होगा।’ अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति भारतीय मूल की कमला हैरिस ने अश्वेतों और बाहरी लोगों के अधिकारों की आवाज हमेशा उठाई है। उन्हें बचपन से सिखाया गया कि अश्वेतों के लिए न्याय पाने का रास्ता बहुत लंबा है। वे चुनाव अभियान के दौरान अक्सर अपने पूर्वजों, माता-पिता और अमेरिका में बाहर से आकर बसे लोगों के नागरिक अधिकारों की चर्चा करती रहीं। उन्होंने, मतदान से कुछ दिन पहले फोर्ट विथ, टेक्सास में कहा, कई बार लगता है कि हम उस कमरे में अकेले हैं। लेकिन, हम जानते हैं कि अकेले नहीं हैं। हम सब साथ हैं। रंग और नस्ल के आधार पर विभाजित देश में 56 साल की कमला का उपराष्ट्रपति बनना बहुत महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। भारतीय मर्चेंट शिप जग-आनंद बीते जून से चीन के जिंगटैंक बंदरगाह पर खड़ा हुआ है। जहाज में 23 क्रू मेंबर्स भी फंसे हैं और इनमें से कई की तबियत खराब है। जहाज में पर्याप्त दवाइयां भी नहीं हैं और खाने-पीने का सामान भी खत्म होने की कगार पर है। हाल ही में क्रू ने एक न्यूज एजेंसी से बात कर भारत सरकार से मदद की अपील की है। बता दें जग आनंद मुंबई की कंपनी ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग लिमिटेड का जहाज है और इसमें ऑस्ट्रेलिया का 1.70 लाख टन कोयला भरा है। बंदरगाह के अधिकारियों ने अब तक जहाज अनलोड करने की अनुमति नहीं दी है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और संयुक्त राष्ट्र समर्थित एनजीओ यूएन वॉच के बीच मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर जुबानी जंग हुई है। इमरान ने पांच नवंबर को लिखा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर ईश निंदा बर्दाश्त के बाहर है। उनका इशारा संभवतः फ्रांस में चल रहे विवाद को लेकर था। यूएन वॉच ने इमरान के इस संदेश को शेयर करते हुए जवाब दिया कि आपकी संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन (यूएनएचआरसी) में मौजूदगी बर्दाश्त के बाहर है। पाकिस्तान के ऊपर देश के अंदर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की हार के बाद व्हाइट हाउस से उनकी विदाई तय हो चुकी है। इस बीच, यरुशलम की नगरपालिका ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए ट्रम्प को नौकरी का ऑफर दे दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नगरपालिका ने अपनी पोस्ट में लिखा- ट्रम्प ध्यान दें। आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। हमारे पास कई नौकरियां हैं और आप उनके लिए योग्य उम्मीदवार हो सकते हैं। हालांकि दि यरूशलम पोस्ट के मुताबिक, इस पोस्ट को नगर पालिका के फेसबुक पेज से जल्द ही हटा भी लिया गया। नगर पालिका के प्रवक्ता ने मीडिया को बताया कि यह पोस्ट अनजाने में अपलोड हो गई थी। इसे तुरंत हटा दिया गया था। फ्रांस में रहने वाले इकबाल सिंह भट्टी इन दिनों भारत में हैं। उनके आने की वजह खास है। इकबाल 10 भारतीयों की राख साथ लेकर आए हैं, जिनकी फ्रांस में मौत हो गई थी। इनमें से 7 की मौत कोरोना से हुई थी। वे इसे मरने वालों के परिवार को सौंपेंगे। 65 साल के इकबाल सिंह पिछले 29 साल से फ्रांस में रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे पेरिस के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती भारतीयों की देखभाल कर रहे हैं। इकबाल कहते हैं कि रब का बहुत शुक्रिया जो उसने मुझे सुरक्षित रखा, ताकि मैं यह काम कर सकूं। कोरोनावायरस महामारी की शुरुआत चीन के शहर वुहान से हुई। संदेह है कि यह वायरस वहां के मीट मार्केट से फैला। कुछ विशेषज्ञ यह आरोप भी लगाते रहे हैं कि वायरस को वुहान के लैब में तैयार किया गया। इन सब खबरों से वुहान की छवि दुनियाभर में कमजोर हुई। साथ ही चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की साख पर भी बट्टा लगा। चीन अब वुहान की निगेटिव छवि को बदलने में लग गया है। इसके लिए वहां की सरकार टीवी, अखबार और इंटरनेट की मदद ले रही है। साथ ही कई बिजनेस इवेंट के जरिए भी वुहान को बेहतर बताने की कोशिश हो रही है। चीनी सरकार ने 20 एपिसोड की एक टीवी सीरीज बनवाई है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे वुहान की जनता ने इस महामारी का सामना किया।