हिंदू धर्म के साथ पूरी दुनिया में गंगा नदी की पवित्रता प्रख्यात है। गांजा जल को अमृत माना जाता है। लेकिन सरकार की उदासीनता के चलते आज गंगा नदी की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। कोरोना की दूसरी लहर में गंगा की गोद में बिखरी लाशो ने मन को विचलित कर दिया है। गंगा घाट की रेत में रातों रात हजारो लाशे दफन कर दी गई हैं. इससे गंगा तट का मंजर भयावह हो गया। तट के कई किलोमीटरों तक रेत में सैकड़ों की संख्या में शवों को दफनाया गया और सरकार को इसकी भनक तक नहीं लगी। लोगों का कहना है कि बड़ी संख्या में गरीब परिवार के लोगों को दाह संस्कार के लिए लकडिया भी उपलब्ध नहीं हो पाई , जिससे उन परिवार के लोगों को अपनों की लाशों को रेत में दफन करना पड़ा। कुछ ने तो लाशो को सीधे गंगा बहा दिया। गिद्ध और कुत्ते शवों को नोच-नोच कर अपना आहार बना रहे थे, जिससे वहां नजारा और भी वीभत्स हो गया था। मामला मीडिया में आने के बाद हड़कंप मच गया। आनन फानन में गंगा नदी के तटों पर भारी पुलिस बल लगाया गया। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। अपनी छबि सुधरने के लिए और नाकामी को छिपाने के लिए सरकार ने ताबड़तोड़ शबो को ठिकाने लगाने का काम शुरू कर दिया। जिसके बाद शबो पर ढकी रामनामी हटाकर, रेत में और गहराई तक दफना दिया गया। गंगा तट के वायरल होते वीडियो ने पूरे देश और दुनिया के सामने सरकारी व्यवस्था और धार्मिक आस्था की पोल खोल दी है। सरकार अपनी जिम्मेदारी भूल गई हो लेकिन गंगा की अविरल पवित्र धारा आज भी अपनी गति इ बाह रही है। बयूरो उत्तरप्रदेश