20 साल बाद मध्य प्रदेश के चुनाव परिणाम चमत्कारिक रूप से मिलने वाले है। मध्य प्रदेश का मतदाता इस बार खुलकर कह रहा था कि उसे परिवर्तन करना है। 2023 का मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव अपने आप में अनूठा है। इसको समझने के लिए हमें 1990 से लेकर 2023 तक के परिणाम का विश्लेषण करके सर्वे के इस निष्कर्ष पर पहुंच पाए हैं। कांग्रेस को इस चुनाव में 42.90 फ़ीसदी मत प्राप्त हो रहे हैं। कांग्रेस को 151 सीट मिल सकती हैं। इसके विपरीत भारतीय जनता पार्टी का वोट बैंक 2.7 फ़ीसदी घटकर 38.3 फ़ीसदी रहने का अनुमान है। जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी को इस चुनाव में अधिकतम 69 सीट मिलने के आसार बन रहे हैं। इस चुनाव में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के सीधा मुकाबला था। जहां पर सपा बसपा गोंडवाना एवं अन्य कोई उम्मीदवार जीतने की स्थिति में था। वहीं पर त्रिकोणीय स्थिति बनी हैं। बाकी विधान सभा क्षेत्रों में वोटो का बटवारा बहुत कम हुआ है। इसका लाभ भी कांग्रेस के पक्ष में होता हुआ दिख रहा है। 1990 का विधानसभा चुनाव राम मंदिर और राम रथ यात्रा के बीच में हुआ था। इस चुनाव में 54.19 फीसदी मतदाताओं ने मतदान किया था। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 220 सीट मिली थी। इस चुनाव में BJP को 39.14 फ़ीसदी वोट प्राप्त हुए थे। कांग्रेस को 56 सीटों पर विजय प्राप्त हुई थी। कांग्रेस का वोट प्रतिशत 33.38 फ़ीसदी रह गया था। 44 सीट अन्य दलों को प्राप्त हुई थी। 2000 तक मध्य प्रदेश की विधानसभा में 320 सीटों पर चुनाव होते थे। उत्तर प्रदेश में कार सेवकों ने बाबरी मस्जिद को 6 दिसम्बर 1992 को ढहा दिया था। उसके बाद मध्य प्रदेश की तत्कालीन सुंदरलाल पटवा की सरकार को केन्द्र सरकार ने बर्खास्त कर दिया गया था। म.प्र. राष्ट्रपति का शासन लागू हो गया था। 1993 में विधानसभा चुनाव हुए। 1993 में 60.52फीसदी मतदाताओं ने मतदान किया था। इसमें कांग्रेस का वोट बैंक लगभग 7 फीसदी बढा। कांग्रेस को 40.67 फ़ीसदी वोट प्राप्त हुए। कांग्रेस को 174 सीटों पर विजय प्राप्त हुई भारतीय जनता पार्टी का वोट बैंक मात्र 0.22 घटा और भारतीय जनता पार्टी को 101 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। हार जीत का अंतर बहुत कम रहा। 1993 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 38.92 फ़ीसदी वोट मिले थे। अन्य को 27 सीटों पर विजय प्राप्त हुई थी। 1998 में दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे। प्रदेश की आर्थिक स्थिति खराब हो चली थी। बिजली और सड़कों की समस्या खराब होती जा रही थी। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कांग्रेस ने पूरी सजगता के साथ चुनाव लड़ा। 1998 में 60.22 फ़ीसदी मतदान हुआ था। इसमें कांग्रेस को 40.59 फ़ीसदी वोट प्राप्त हुए थे। कांग्रेस को 172 सीटों पर विजय प्राप्त हुई थी। भारतीय जनता पार्टी का भी वोट बैंक 0.36 फ़ीसदी बढा था। लेकिन सीटों की संख्या 119 ही रही। 1998 के चुनाव में 29 अन्य उम्मीदवारों को विजय प्राप्त हुई थी। लगातार दूसरी विजय के बाद दिग्विजय सिंह निरंकुश होने लगे। चरनोई की भूमि बिजलीपानी सड़कसरकारी कर्मचारियों की नाराजी दलित और आदिवासी एजेंडे में अन्य वर्गों की उपेक्षा करने के कारण नाराजी बढी। इसी बीच भारतीय जनता पार्टी ने उमा भारती के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की ठानी। 2003 में 67.25 फ़ीसदी मतदान हुआ जो एक रिकार्ड मतदान था। भारतीय जनता पार्टी का वोट बैंक बढ़कर 40.50 फ़ीसदी हो गया। कांग्रेस का वोट बैंक मात्र 2.89 फ़ीसदी घटा। 2003 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 173 सीटों पर चुनाव जीती। वहीं कांग्रेस मात्र 38 सीटों पर सिमट कर रह गई। अन्य को 19 सीटों पर विजय प्राप्त हुई। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का बंटवारा होने के बाद यह पहला चुनाव था। जिसमें कांग्रेस को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। 2008 के विधानसभा चुनाव में 69.63 फ़ीसदी मत पड़े थे। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का वोट बैंक घटकर 37.66 फीसदी रह गया और भारतीय जनता पार्टी की सीट 173 से घटकर 143 रह गई। कांग्रेस का वोट बैंक भी इस चुनाव में घाटा जो मात्र 32.39 फीसदी वोट मिला। कांग्रेस को 71 सीटों पर विजय प्राप्त हुई। अन्य 16 सीटों पर अन्य विजयी हुए। 2013 के विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान की परीक्षा होनी थी। उनके नेतृत्व में यह दूसरा चुनाव लड़ा जा रहा था। इस बीच मध्य प्रदेश की आर्थिक स्थिति बहुत तेजी के साथ सुधरी। 2013 में 72.69 फ़ीसदी मतदाताओं ने मतदान किया। इसमें भाजपा का वोट बैंक 7.21 फ़ीसदी बढा। भाजपा का वोट बैंक 44.87 पर पहुंच गया। इसके बाद भी भारतीय जनता पार्टी को मात्र 166 सीटों पर विजय प्राप्त हुई। कांग्रेस मात्र 58 सीटों पर 36.37 फ़ीसदी वोट पाने के बाद भी सिमट कर रह गई। 6 सीट अन्य राजनीतिक दलों को प्राप्त हुई। उनका वोट बैंक भी बढ़कर 8.50 फ़ीसदी हो गया। जिसने कांग्रेस की सीटों की संख्या को घटाने में काफी अहम रोल अदा किया। 2018 के विधानसभा चुनाव में भी 75.63 फ़ीसदी मतदान हुआ था। 15 साल से लगातार भारतीय जनता पार्टी का शासन था। नोटबंदी और जीएसटी का असर भी मंहगाई के रुप में दिखने लगा था। #mpelection2023 #exitpoll #emstv