ब्रॉडकास्टटेलीकम्युनिकेशन और डाटा प्रोटक्शन बिल बनेंगे फांसी का फंदा सरकार ने टेली कम्युनिकेशन और डेटा प्रोडक्शन बिल सदन से पास कर लिए हैं. ब्रॉडकास्ट विल भी जल्दी ही पेश किया जा रहा है. 2 कानून बन गए हैं.इन तीनों बिलों के माध्यम से आम आदमी की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति और निजता के अधिकार बाधित होना तय माना जा रहा है. इन बिलों की आड़ में सरकार किसी भी नागरिक को जैसे नचाएगी वैसे नाचना पड़ेगा. भारत सरकार यूट्यूबर को दबोचने की तैयारी के अंतिम चरण में पहुंच चुकी है. गोदी मीडिया की हालत क्या है. यह हम सभी देख रहे हैं.गोदी मीडिया वही दिखा रहा हैजो सरकार दिखाने की अनुमति देती है. बड़ी-बड़ी घटनाएं और कवरेज गोदी मीडिया से गायब है. अभी इस तरह की कवरेज युटयूबर पत्रकार विचारक टिप्पणीकार समूह तथा व्यक्तिगत कवरेज के माध्यम से लोगों तक यूट्यूब व्हाट्सएप इंस्टाग्राम फेसबुक के माध्यम से पहुंच रहे हैं. जो आदमी गोदी मीडिया के इलेक्ट्रॉनिक चैनलों से हैरान और परेशान है.उन्हें इलेक्ट्रॉनिक चैनलों से पर्याप्त जानकारी नहीं मिल रही है. वह सोशल मीडिया के यूट्यूबर के माध्यम से सारी जानकारी प्राप्त कर रहे है. यह संख्या लाखों और करोड़ो लोंगो तक पहुंच गई है. रवीश कुमार और 4 पीएम जैसे चैनल इसके उदाहरण हैं. सरकार जो तीनों नए कानून लेकर आई है. उसके अनुसार अब यूट्यूबर जिनमे कॉमेडियन व्यंग्यकार और हजारों युटुयूबर भी होंगे. वह नए बिल में ब्रॉडकास्टर माने जाएंगे. ब्रॉडकास्ट बिल के माध्यम से अब यूट्यूबर के पत्रकारस्वतंत्र रूप से अपनी बात नहीं कह सकेंगे. उन्हें अपना पंजीयन कराना पड़ेगा. सरकार जो गाइडलाइन बनाएगी उसी के अनुसार चलना होगा. हमेशा सरकार की निगरानी में रहेंगे. सरकार उन्हें कानून के दायरे में बाबू बनाकर रख देगी. इतना डरा देगी कि वह अपना काम ही छोड़ दें. सरकार की मर्जी के खिलाफ यदि कोई भी कंटेंट होगा तो उस पर कार्रवाई भी हो जाएगी. उसे सजा भी हो सकती है. उसके मोबाइल और लैपटॉप भी जप्त किए जा सकते हैं. सरकार यूट्यूबर की स्वतंत्रता पर लगाम लगाने के लिए ब्रॉडकास्ट बिल लेकर आई है. आज के दौर में गुलाम बनाने के लिए मानसिक गुलामी ही सर्वोत्तम गुलाम बनाने का तरीका है. सरकार जो परोसना चाहतीवही देगी.धीरे-धीरे आपकी सोच और विचार को बदल देगी. आप एक विचारधारा के गुलाम बनके रह जाएंगे. सोचने की सारी शक्ति ही खत्म हो जाएगी. सरकार से सवाल करना और विभिन्न तरीके की सूचनायें आदमी को विचारशील बनाती हैं.ब्रॉडकास्ट बिल के माध्यम से अब स्वतंत्र पत्रकारिता अथवा स्वतंत्र विचारों की अभिव्यक्ति जो अभी सोशल मीडिया के माध्यम से उपलब्ध हो रही थी. उस पर भी सेंसरशिप करने की तैयारी सरकार ने कर ली है. 20 दिसंबर को दिल्ली में डिजिटल पब्लिशर्स की संस्था डीजीपी पब ने ब्रॉडकास्ट बिल और टेलीग्राम बिल पर चर्चा आयोजित की थी. इस संगठन में 60 डिजिटल पब्लिशर शामिल हुए.इस बैठक में पत्रकारों ने ब्रॉडकास्ट बिल के प्रावधान को लेकर चिंता जाहिर की. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को किस तरीके से यह बिल प्रभावित कर रहा है. कैसे सोशल मीडिया के पत्रकारों को कानून की परिधि में लाकरउनकी स्वतंत्रता को बाधित किया जा सकता है. इस पर काफी विस्तार से चर्चा की गई है. टेलीकॉम बिल सदन से पास हो गया है.ब्रॉडकास्ट बिल को अभी सदन में पेश नहीं किया गया है.लेकिन जैसे बिल का प्रस्ताव तैयार किया गया है. यदि यह पेश होकर पास हो गया तो सारे युटयूबर सरकार के चंगुल में आ जाएंगे. इस बैठक में कहा गया है कि ब्रॉडकास्ट बिल और टेलीकम्युनिकेशन बिल तथा डाटा प्रोटक्शन बिल को अलग-अलग रूप से नहीं देखना चाहिए. यह तीनों एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं. जिसका सीधा नियंत्रण सोशल मीडिया को नियंत्रित किए जाने का है. सरकार इन बिलों की खूबियों का जोर जोर से प्रचार प्रसार कर रही है. लेकिन वास्तविकता वह नहीं है जो सरकार बता रही है. सरकार सूचनाओं सवालों और मुद्दों को आम जनता तक पहुंचने से रोकना चाहती है. गोदी मीडिया में वह पूरी तरह से सफल हो चुकी है. लेकिन गोदी मीडिया से दर्शक विमुख होकर सोशल मीडिया की तरफ बढ़ रहे हैं. अब सरकार के लिए सोशल मीडिया को नियंत्रित करना सबसे बड़ी प्राथमिकता हो गई है. बिल के जो प्रावधान हैंयदि वह लागू हो गएतो व्हाट्सएप के माध्यम से भी परसन टू परसन और समूह में कम्युनिकेशन कर पाना संभव नहीं होगा. व्यक्ति और समूह को ब्रॉडकास्टर मानकर सरकार अब किसी के खिलाफ भी कार्यवाही कर सकेगी.टेली कम्युनिकेशन बिल और डाटा प्रोटक्शन बिल में भी यह स्थिति बन रही है. भारत सरकार जो तीन कानून लेकर आ रही है. वह आपस में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. उसके माध्यम से सरकार सूचना और विभिन्न वैचारिक विषयों पर अपना नियंत्रण रखना चाहती है. डिजिटल तौर तरीके पर इस तरह की तानाशाही बहुत आसान है.सरकार यही करने जा रही है. इन बिलों के पास हो जाने के बाद कोई भी यूट्यूबर जो करेंट अफेयर्स के बारे में कुछ भी लिखता है बोलता है. उसे व्यक्ति से व्यक्ति तक समूह तक या नेटवर्किंग के माध्यम से प्रेषित करता है. तो वह गुनहगार बनाया जा सकता है. राजनीतिक आर्थिक सामाजिक घटनाओं पर टिप्पणी करना भी नवीन कानूनो के दायरे में आ जाएगा. ब्रॉडकास्ट बिल में इस तरीके का प्रावधान है कि केंद्र सरकार के अफसर किसी के घर में आएगा जांच करने के नाम पर कैमरा मोबाइल फोन कंप्यूटर लैपटॉप एडिट मशीन जो भी होगा लेकर चला जाएगा. साक्षी मलिक 39 दिन तक जंतर मंतर पर बैठकर धरना प्रदर्शन करती रही. किसान 380 दिनों तक रोड पर बैठकर आंदोलन करते रहे. गोदी मीडिया ने उसे नहीं दिखायायदि कवरेज करना भी पड़ी तो वही कवरेज दिखाईजो सरकार दिखाना चाहती थी. इन बिलों के आ जाने के बादअब करंट अफेयर्स में भी कुछ नहीं दिखाया जा सकेगा. जो करें ट अफेयर्स की वास्तविक तस्वीर होगी. सरकार चाहती है वह ना दिखाई जाए. सरकार को सवाल मुक्त मीडिया मिले. जो तथ्य सरकार को अच्छे नहीं लगते हों उनका प्रसारण किसी भी प्लेटफार्म पर नहीं होना चाहिए. सरकार जो चाहती है बस वही प्रसारित हो.धीरे-धीरे विचारों और सूचनाओं से आपको अलग करते हुए मानसिक गुलामी की ओर ले जाने के लिएसरकार द्वारा लाये गए तीनों बिल पढ़े-लिखे और अनपढ़ लोगों को गुलामी के मकडजाल में फंसा लेंगे. फिर इससे बाहर निकलना किसी के लिए संभव नहीं होगा. सरकार जैसा रखना चाहती है वैसा ही हमें रहना सीखना पड़ेगा. भेड़ चाल की तरह चलाया जाएगा और हम भेड बनकर गडरिया की आवाज और लाठी से आगे जाएंगे. बस अब यही देखना और सुनना बाकी रह गया है. जय श्री राम हो गया काम.