पैगासिस के जिस जिन्न को सुप्रीम कोर्ट ने फाइलों में बंद करके रख दिया था वह एक बार फिर फाइलों से बाहर निकलता हुआ नजर आ रहा है। यह जिन्न किसी के काबू होगा या नहीं यह तो भविष्य ही बताएगा लेकिन यह तय है कि इससे अनेक जिम्मेदार लोगों को खासी परेशानी जरुर होगी। इसलिए संबंधितों में सतर्क रहने और हर स्थिति पर नजर रखने की भी बात होने की चर्चा आम हो रही है। इस पैगासिस रुपी जिन्न के निकलने का कारण मोबाईल फोन की जांच रिपोर्ट आधारित खबर बनने जा रही है। दरअसल वाशिंगटन पोस्ट की खबर के मुताबिक वायर के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन और करप्शन साउथ एशिया के एडिटर आनंद मंगाले ने अपने फोन इंटरनेशनल लेब को जांच के लिए दिए थे। जांच के बाद जो रिपोर्ट आई है उसमें कहा गया है कि दोनों फोन में पीगासस पाया गया है। इसके बाद से ही कहा जा रहा है कि एक बार फिर पेगासस का जिन्न बाहर निकलने वाला है। जिस इंटरनेशनल लैब में फोन की जांच की गई है उसकी मान्यता सारी दुनिया के देशों में है। हाल ही में एप्पल फोन का उपयोग करने वालों को सिक्योरिटी अलर्ट जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि अलर्ट से बचने के उपाय करें। यह कहा जा रहा है कि पैगासस के माध्यम से भारत के पत्रकारों वरिष्ठ अधिवक्ताओं हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट के जजों राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों के फोन की जासूसी की जा रही है। यदि यह सच है तो देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए यह सबसे बड़ा खतरा हो सकता है। मालूम हो कि पेगासस का मामला सुप्रीम कोर्ट भी गया था। सरकार ने बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को बंद कर दिया था। पैगासस से जासूसी करने का मामला भारत में बहुत तूल पकड़ा था। सरकार ने विपक्ष की मांग को भी दबा दिया था। सुप्रीम कोर्ट से जांच बंद कर दिए जाने के बाद यह मामला ठंडा पड़ गया था। संसद में भी इस पर चर्चा की गई लेकिन सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया। सरकार ने संसद में इनकार भी नहीं किया और इकरार भी नहीं किया। वहीं पीगासस बनाने वाली कंपनी का दावा है कि वह केवल सरकारों को ही पेगासस का सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराती है। ऐसी स्थिति में एक बार फिर सरकार कटघरे में खड़ी हो गई है। भारत सरकार ने अभी तक स्वीकार नहीं किया है कि सरकार के किसी विभाग या सुरक्षा एजेंसी ने पैगासस की सेवाएं ली हैं। लेकिन वॉशिंगटन पोस्ट ने इंटरनेशनल लैब के माध्यम से यह खबर प्रकाशित की और बताया कि लैब में जिन दो फोन की जांच हुई है उन दोनों में पैगासस पाया गया है। इस रिपोर्ट के बाद सरकार की मुसीबतें बढ़ सकती है। पैगासस जासूसी का जिन्न एक बार फिर सरकार और सुप्रीम कोर्ट की फाइलों से बाहर निकलता हुआ दिख रहा है। यह मामला वैश्विक स्तर पर तूल पकड़ रहा है। इस जासूसी के मामले में एक बड़े उद्योगपति का नाम भी सामने आ रहा है। इस उद्योगपति के संबंध में जिन लोगों ने भी अपनी रुचि दिखाई है इस उद्योगपति की जांच जहां-जहां लंबित थी उन सभी के एप्पल ने अलर्ट जारी किया था। वाशिंगटन पोस्ट में समाचार छपने के बाद एक भय का वातावरण भारत में निर्मित हो गया है। निश्चित रूप से यह मामला तूल पकड़ने वाला है। वैसे यह मामला इतना गंभीर है कि इससे न तो ध्यान हटाया जा सकता है और न ही ध्यान भटकाया जा सकता है। जो कंपनी और लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं उन्हें जांच के दायरे में लाना ही चाहिए और ईमानदारी के साथ न्याय आधारित कार्रवाई भी की जाना चाहिए। इसके बाद ही पैगासस जासूसी का जिन्न शांत हो पाएगा इसके इतर कोई रास्ता तो फिलहाल नहीं है।