जैन संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने देह त्याग दिया है। तीन दिन की समाधि के बाद वह ब्रह्मलीन हो गए। इसके बाद उनके शिष्य समय सागर जी महाराज जैन धर्म के अगले जैन संत शिरोमणि आचार्य होंगे। प्रथम मुनि शिष्य पूज्य प्रथम निर्यापक श्रमण मुनिश्री समयसागर जी महाराज अभी 65 साल के हैं। वह मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले हैं। जैन धर्म के लोग संत शिरोमणि आचार्य के बताए मार्गों पर ही आगे बढ़ते हैं। आचार्य समय सागर जी महाराज पहले शांतिनाथ जैन के नाम से जाने जाते हैं। उनके पिता का नाम मल्लप्पाजी जैन है। वहीं मां का नाम श्रीमंति जी जैन है। संत शिरोमणि आचार्य समय सागर जी महाराज छह भाई-बहनों में छठे नंबर पर थे। उनका जन्म 27 अक्टूबर 1958 को हुआ था। अभी वह 65 साल के हैं। आचार्य समय सागर जी महाराज की जन्मस्थली कर्नाटक के वेलगाम में है। संति शिरोमणि आचार्य समय सागर जी महाराज ने ब्रह्मचर्य व्रत दो मई 1975 को अपनाया। 18 दिसंबर 1975 को उन्होंने झुल्लक दीक्षा ली है। इसके बाद 31 अक्टूबर 1978 को एलक दीक्षा जैन सिद्ध क्षेत्र नैनागिरी जी छतरपुर मध्य प्रदेश में ली है। वहीं मुनि दीक्षा आठ मार्च 1980 को जैन सिद्ध क्षेत्र द्रोणगिरी जी छतरपुर मध्यप्रदेश में ली है। वहीं आचार्य समय सागर जी महाराज के दीक्षा गुरु विद्यासागर जी महाराज रहे हैं। अब अपने दीक्षा गुरु की जगह वह जैन समाज के संत शिरोमणि आचार्य की जगह लेंगे। सबसे खास बात यह है कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के बाद जैन धर्म के अगले आचार्य समय सागर जी महाराज उनके सगे भाई हैं। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज मुनि श्री समय सागर जी महाराज और मुनि श्री योगसागर जी महाराज गृहस्थ जीवन में सगे भाई हैं। इन तीनों के गृहस्थ जीवन के माता-पिता और दो बहनें भी आचार्य धर्मसागर जी से दीक्षित हुए थे।