लगता है कांग्रेस चुनाव लड़ना सीख गई है. रायबरेली और अमेठी को लेकर अंत तक कांग्रेस ने सस्पेंस बनाकर रखा. भाजपा अमेठी और रायबरेली में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के लिए जाल बिछाकर बैठी हुई थी. इस जाल में फंसने के स्थान पर कांग्रेस ने तगड़ी चुनौती भाजपा के लिए खड़ी कर दी है. भाजपा ने सोचा था दोनों भाई बहन खड़े होंगे.अगले चरण के चुनाव प्रचार में राहुल और प्रियंका अपनी सीटों पर फंस जायँगे. कांग्रेसराष्ट्रीय स्तर के चुनाव प्रचार में बहुत कमजोर पड़ जाएगी. दोनों अपनी अपनी सीटें निकालने के लिए पूरा अस्तित्व दांव पर लगा देंगे. तीसरे चरण के बाद के सारे चुनाव में भाजपा के लिए कोई चुनौती नहीं रहेगी. परिवार वाद को लेकर कांग्रेस और गांधी परिवार को घेरने मैं भाजपा सफल होगी. उत्तर प्रदेश मैं भाजपा की सरकार है. मुख्यमंत्री के रूप में आदित्यनाथ योगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो स्वयं बनारस से लड़ रहे हैं. इन दोनों योद्धाओं के होते हुए राहुल और प्रियंका को सबक सिखाने की जो रणनीति भाजपा ने बनाई थी. भाजपा की सारी ताकत यूपी में है. जो चक्रव्यूह भाजपा ने रचा था. उस चक्रव्यूह में कम से कम राहुल और प्रियंका गांधी नहीं फंसे. राहुल गांधी सबसे सुरक्षित रायबरेली से लड़ने जा रहे हैं. यहां से सोनिया गांधी सांसद हैं.गाँधी परिवार की सक्रियता रायबरेली में बनी हुई थी. राहुल गांधी को रायबरेली में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी. रायबरेली से राहुल गांधी के चुनाव लड़ने का असर अमेठी सीट पर भी पड़ेगा. अमेठी की सीट एक बार राहुल गांधी हार चुके हैं. वहां से गांधी परिवार ने अपने सबसे विश्वासी किशोरी लाल शर्मा को चुनाव मैदान में उतार दिया है. राजीव गांधी के समय से वह अमेठी संसदीय क्षेत्र में काम कर रहे हैं. अमेठी के मतदाता उन्हें जानते हैं. उनके माध्यम से कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को चुनौती दी है. स्मृति ईरानी यदि किशोरी लाल शर्मा से हार गई तो स्मृति ईरानी का राजनीतिक कैरियर भी खत्म हो जाएगा. वही गांधी परिवार को दांव भी नहीं लगाना पड़ा. प्रियंका गांधी कांग्रेस की स्टार प्रचारक बनकर देश भर के सभी राज्यों में घूम- घूम कर कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के लिए प्रचार करेंगी. राहुल गांधी भी अगले चरणों के चुनाव प्रचार में लगे रहेंगे. बीच-बीच में वह रायबरेली में भी रहेंगे. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी ट्वीट कर कहा किया कि राहुल गांधी जी की रायबरेली से चुनाव लड़ने की खबर पर बहुत सारे लोगों की बहुत सारी राय हैं. लेकिन वो राजनीति और शतरंज के मंजे हुए खिलाड़ी हैं और सोच समझ कर दांव चलते हैं. उन्होंने आगे कहा शतरंज की कुछ चालें बाकी हैं थोड़ा इंतजार कीजिए. गौरतलब है कि 2013 और 2014 में नरेंद्र मोदी को लेकर जो भरोसा मतदाताओं के बीच में जगा था. भाई बहनों की इस टीम से भाजपा और नरेंद्र मोदी को वही चुनौती मिल रही है. इसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की थी.