कानफोड़ू माडीफाइड साइलेंसर वाले बुलेट वाहन पर पुलिस की कार्यवाही कोसमी मंडई में सिद्धेश्वरी देवी जागरण के कलाकारों ने मचाई धूम बैण्ड और बंगाली नगाड़ा की धुनों पर विसर्जन के लिये निकाली मां काली की शोभायात्रा शहर में बेखौफ होकर युवाओं द्वारा ध्वनि प्रदूषण करने वाले कानफोड़ू माडीफाइड साइलेंसर वाले बुलेट वाहन दौड़ रहे थे। जिसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक को मिलने पर पुलिस अधीक्षक नगेन्द्र सिंह द्वारा ऐसे वाहन चालकों पर कार्यवाही करने यातायात पुलिस को निर्देशित किया गया। जिससे यातायात पुलिस द्वारा माडीफाइड साइलेंसर का उपयोग कर ध्वनि प्रदूषण करने वाले बुलेट वाहन चालकों को पकड़कर चालानी कार्यवाही कर साइलेंसर को निकाला गया और कार्यवाही करने हेतु प्रकरण तैयार कर न्यायालय में पेश किया गया है। दीपावली का पर्व के बाद गोवर्धन पूजा भाईदूज की तिथि दो दिन होने से कुछ गांवों में ३ अक्टूबर को भाईदूज व गाय खिलाई गई। इसी कड़ी में ग्राम पंचायत खैरी में रविवार को गोवारी अहीर समाज द्वारा ग्राम की चली आ रही परम्परानुसार गाय खिलाने की रस्म निभाई गई। गांव के आखर मैदान में खिलिया मुठिया देव की पूजा अर्चना कर आखर बांधकर गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर गाय खिलाई गई। गाय खिलाने के बाद गोवर्धन से गोबर उठाकर एक-दूसरे को तिलक लगाकर छोटों ने बड़े बुर्जुगों से आर्शीवाद लेकर दीपावली पर्व की बधाईयां दी गई। गाय खिलाने की रस्म पूर्ण होने के बाद शहर सहित ग्रामीण अंचलों में मंडई का दौर प्रारंभ हो गया है। ग्राम पंचायत कोसमी में गाय खिलाने के बाद शाम के समय मंडई भराई गई। जिसमें ग्रामीणजनों सहित आस-पास गांव के लोगों ने बड़ी संख्या में पहुंचकर मंडई का आनंद लिया। आयोजन समिति द्वारा रात्रि में सिद्धेश्वरी देवी जागरण ग्रुप छिंदवाड़ा का कार्यक्रम रखा गया था। जिसमें जागरण के कलाकारों द्वारा शानदार प्रस्तुति दी गई। जागरण में मुंबई से मशहूर गायिका इशरत जहां व बैतूल की गायिका यशस्वी टोरिया ने डोल बजाकर मातारानी के गीतों की शानदार प्रस्तुति देकर जमकर तालियां बटोरी। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी बंग समाज द्वारा दीपावली के अवसर पर लक्ष्मीपूजा के दिन शहर मुख्यालय के पीजी कॉलेज समीप स्थित नवीन कन्या शाला बूढ़ी के स्कूल मैदान में माता काली की प्रतिमा स्थापित की गई थी। बंग समाज द्वारा सुबह-शाम माता काली की विधि-विधान से पूजा अर्चना कर महाप्रसाद का वितरण किया गया। रविवार की शाम मां काली की प्रतिमा विसर्जन के लिये बैण्ड व डीजे एवं बंगाली नगाड़ों की धुनों के साथ शहर में निकाली गई। इस दौरान बंग समाज की पुरूष व महिलाओं द्वारा नृत्य करते हुये मातारानी के जयघोष के साथ मातारानी को बिदाई दी गई।