मध्यप्रदेश में खरीफ फसल की धान खरीदी 2 दिसंबर से शुरू हुई लेकिन किसान गर्जना संगठन ने 3100 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य और 800 रुपये बोनस की मांग को लेकर आंदोलन किया। संगठन ने सभी विधायकों व प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए चेतावनी दी थी कि मांगें न माने जाने पर धरना देंगे। 2 दिसंबर को सभी खरीदी केंद्रों पर विरोध प्रदर्शन हुआ जिससे पहले दिन कोई भी किसान धान बेचने नहीं पहुंचा। आंदोलन के चलते जिले के खरीदी केंद्रों पर खरीदी प्रक्रिया प्रभावित रही। वार्ड नंबर 33 गायखुरी में अवैध शराब बिक्री और असामाजिक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए नशा मुक्ति अभियान समिति ने सोमवार को कलेक्टर और एसपी को ज्ञापन सौंपा। इसके पहले रविवार को शिव मंदिर परिसर में बैठक कर अवैध शराब बंद करने का निर्णय लिया गया और जागरूकता रैली निकाली गई। ज्ञापन के बाद पुलिस ने तीन स्थानों से अवैध शराब जब्त की। संगठन ने प्रशासन को तीन दिन में कार्रवाई न करने पर 5 दिसंबर को चक्काजाम की चेतावनी दी है। अभियान में युवा महिलाएं और बुजुर्ग बड़ी संख्या में शामिल हुए। मध्य प्रदेश में धान खरीदी की शुरुआत 2 दिसंबर से हुई लेकिन किसान अपनी मांगों पर अड़े रहे। उनका कहना है कि चुनाव के दौरान सरकार ने 3100 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य का वादा किया था जो अब तक पूरा नहीं हुआ। विरोधस्वरूप किसानों ने खरीदी केंद्रों पर धान नहीं पहुंचाया और धरना प्रदर्शन किया। समनापुर चरेगांव और लामता में पहले दिन धान खरीदी नहीं हो सकी जबकि अधिकारी तैयार थे। किसानों ने अपनी मांगों के समर्थन में रैली निकालकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और वादे पूरे करने की मांग की। लामता तहसील क्षेत्र के धान खरीदी केंद्रों पर किसानों ने प्रदर्शन कर धान तौल को रोक दिया। किसानों का कहना है कि जब तक धान का समर्थन मूल्य ₹3100 प्रति क्विंटल नहीं किया जाता तब तक वे धान तौलने नहीं देंगे। किसान गर्जना संगठन ने इस आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई जिससे सभी केंद्रों पर भारी भीड़ जुटी। किसानों ने अपनी मांगों को स्पष्ट करते हुए कहा कि उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिलना चाहिए। प्रदर्शन के कारण धान खरीदी केंद्रों का कामकाज ठप हो गया। प्रशासन के समक्ष किसानों की मांगें चुनौती बन गई हैं।